मिज का परिक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने पर dairy lekhan
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परीक्षा में नकल करते हुये पकड़े जाने पर छात्र और पिता के बीच संवाद लेखन
पिता अपने बेटे सुधांशु को बुलाते हुए
पिता — सुधांशु इधर आओ।
सुधांशु — जी पिताजी।
पिता — आज तुम्हारे स्कूल से फोन आया था और प्रिंसिपल तुम्हारी शिकायत कर रहे थे। अब तुम बेहतर जानते होगे कि उन्होंने तुम्हारी क्या शिकायत की।
सुधांशु — (सर झुकाये हुये बोला) जी पिताजी।
पिता — तुम्हारे कारण आज मुझे बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। प्रिंसिपल ने यह बोला कि आज तुम परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े गए। बोलो क्या ये सच है?
सुधांशु — जी पिताजी।
पिता — मैंने तुम्हें कितनी बार समझाया है कि अपनी पढ़ाई ध्यान पूर्वक करो। अगर तुमने अपनी पढ़ाई अच्छे से की होती। परीक्षा के लिये सब कुछ याद किया होता तो तुम्हें नकल की जरूरत ही क्यों पड़ती। तुमने आज मुझे बेहद शर्मिंदा कर दिया।
सुधांशु — सॉरी पिताजी। आज मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।
पिता — प्रिंसिपल साहब बहुत नाराज हो रहे थे। वह तो मेरे उनसे अच्छे संबंध है इस कारण उन्होंने तुम्हारे खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से पहले मुझे बता देना उचित समझा। तुम्हारी यह पहली गलती है इसलिए उन्होंने हल्की सी सजा दी है कि उस पेपर को तुम्हे कल फिर देना होगा। वरना वो चाहते तो तुम्हे पूरी परीक्षा से बाहर कर सकते थे, फिर तुम्हारा पूरा साल बर्बाद हो जाता।
सुधांशु — पिताजी मुझे माफ कर दीजिये। मैं ये गलती फिर कभी नही करूंगा।
पिता — मुझे यही उम्मीद है तुमसे कि यह तुम्हारी आखिरी गलती होगी। आज से तुम पढ़ाई पर विशेष ध्यान दोगे।
सुधांशु — जी मैं आपको वचन देता हूं मैं अपनी पढ़ाई अच्छे से करूंगा और कभी नकल करने का प्रयास नही करूंगा। आज परीक्षा भवन में पकड़े जाने पर सबके सामने मुझे बेहद शर्मिंदा होना पड़ा इस बात ने मुझे मेरी गलती का एहसास करा दिया।
पिता — बहुत अच्छा हुआ जो तुम्हे अपनी गलती का सचमुच अहसास हो गया। व्यक्ति अपनी गलतियों से सबक ले वो सबसे अच्छी बात है। अब जाकर अपनी पढ़ाई करो और रात को मुझे अपने सारे याद किये पाठ सुनाना। कल तुम्हें पुनः परीक्षा देनी है।
सुधांशु — जी पिताजी। मै सारे पाठ की तैयारी करके रात को आपको सुनाता हूँ।
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