मंजुल मलारन को गावनों -
।
1) और भांति कुंजन में गुजरत भार
और डोर सौरन 4. बौरम के हवै गये।
कहे पद्माकर सु और भांति गालियानि.
छलिया छनीले छैल और छबि छबै गये
और भांति बिहज-समाज में आवाज होति,
ऐसे रितुराज के न आज दिन दवै गये ।
और रस और रीति और राग और रंग,
और तम और मन और बन हवै गये।
क. पद्माकर गुमान हुँ तेमा
प्रानह से प्यारों मनभावनों
मोरम को सोर घनघोर चह
हिंडोरन को बंद छवि छावन
नेह सरसावन में मेह बरसा
सावन में झूलिबों सुहावनों
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और भांति कुंजन में गुजरत भार
और डोर सौरन 4. बौरम के हवै गये।
कहे पद्माकर सु और भांति गालियानि.
छलिया छनीले छैल और छबि छबै गये
और भांति बिहज-समाज में आवाज होति,
ऐसे रितुराज के न आज दिन दवै गये ।
और रस और रीति और राग और रंग,
और तम और मन और बन हवै गये।
क. पद्माकर गुमान हुँ तेमा
प्रानह से प्यारों मनभावनों
मोरम को सोर घनघोर चह
हिंडोरन को बंद छवि छावन
नेह सरसावन में मेह बरसा
सावन में झूलिबों सुहावनों
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