मंजिल दूर नहीं है कविता की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए
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मंजिल दूर नहीं है। सारी रात चले तुम दुख झेलते कुलिश निर्मम का। एक खेय है शेष, किसी विध पार उसे कर जाओ, वह देखो, उस पार चमकता है मंदिर प्रियतम का।
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