मिजबान कहानी किस लोकभाषा में लिखी गई

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तब जाके बा ठीक भई थी।" बूढ़े दादा बड़े ध्यान से तुन रए थे। बिनने कई, "बहु की जान बच जाए जोई करो।" बिचारी माताटान चुपचाप सब तमासो देख रई थी।
अब जल्दी से जाई हे बुलबाओ और माताराम को मुण्डन करबाओ। बालों हे पुटरिया में रखके बहु के ऊपर से पाँच बार उतारके नदिया में सिरा दए। बहुतो नाटक करई रई थी बातुरतई बिलकुल अच्छी हो गई।
रात के समय मोड़ा सहर से दुकान को सामान लेके लोटो, तो बाहे सब बात पता चली। बो समझ गओ भोत दिक्कत हो गई है। नगर मोड़ा बड़ो समझदार थी, बो कछु नई बोलो। बाने सोची जब बखत आहे तब देख हैं। जाको बदला जरूर लेहूँ।
जब मोड़ा दुकान पे जाए तो बहुचकिया लेके बेठे और कछु भी पीसबे रख ले। चकिया चलात जाए ओर गात जाए, "मेंने ऐंसी टेक निभाई मेरी सास की मूढ़ मुड़ाई, मेंने ऐंसी टेक निभाई.।" जो गीत लुनके माताराम बड़ी दुखी होए, भोत परेसान रहे। फिर भी जा बात माताराम ने अपने जोड़ा है जई बताई।
एक दिन का भओ की, मोड़ा दुकान बन्द करके दुफेर मेई घर आ गओ। जैसई घर के भीतर घुसी बाने देखो, बहु चकिया चला दई हे ओर बोई गीत गा रई हे, "मेंने ऐंसी टेक निभाई मेरी सास की मूढ़ गुड़ाई, मेंने ऐंसी टेक निभाई.।" मोड़ा हे भोत गुस्सा आई। पर बाने सोची में ईंट को जबाब पथ्थर से देहूँ।
अब मोड़ा सीधी अपनी पुसरार पोंहचो। पहचतेई से जोर-जोर से रोन लगी। बाके सुसर-सास, सारे सब घबरा गए की लालाजी हे का हो गओ? का घर में कछु बुरो हो गओं ? सुसर ने पूछी, "लालाजी बताओ तो का बात हे, का तकलीफ है?" लालाजी रोत-रोत बोले, "तुमरी मोड़ी की तबियत कछु दिना से भीतई खराब है। हमने बाकी भोत इलाज कराओं मनो बाहे कछु आराम नई पड़ रओ। एक गुनिया ने बताओ हे बाहे भीतई खतरनाक प्रेतबाधा लगी हे। अगर बाबाधा दूर नई भई तो तुमरी मोड़ी खतम हो जाहे। बा खतम भई तो हमरी माताराम खतम हो जाहें ओर बिनके बाद में खतम हो जेहूँ। बाके बाद तुमरे घर भी ऍसई हुए। एक-एक करके सब मर जेहें। सब सत्यानास हो जेहे।"
सबरे बड़े परेसान अब का करें? सुसर ने पूछी, "लालाजी गुनिया ने प्रेत बाधा दूर करबे काजे कछु उपाओ बताओ हे की नई?" लालाजी बोले, "जा बाधा ने गुनिया से कई हे का जोड़ी हे तबई छोड़हूँ, जब जाके सबरे मायके बारे मोड़ा-मोड़ी से लेके डुकरा-डुकरिया तक, अपनी मुण्डन करबाके सबरे बाल एक पुटरिया में रखके
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