मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूं फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूं इस पर व्याख्या
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व्याख्या-कवि बच्चन कहते हैं कि मेरे ऊपर अनेक सांसारिक उत्तरदायित्व हैं, जिनके कारण मेरा जीवन भार-स्वरूप हो गया है परन्तु मेरे मन में सभी के प्रति प्रेम तथा स्नेह के भाव विद्यमान हैं। दुनियादारी में फंसकर मैं अपने प्रेम-भाव की उपेक्षा नहीं करना। चाहता।
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