Hindi, asked by arayka164, 7 months ago

मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक पत्थर में
चमकता हीरा है;
हर-एक छाती में आत्मा अधीरा है,
प्रत्येक सुस्मित में विमल सदानीरा है,
मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक वाणी में
महाकाव्य पीड़ा है,
पलभर में सबसे गुज़रना चाहता हूँ,
प्रत्येक उर में से तिर जाना चाहता हूँ,
इस तरह खुद ही को दिए-दिए फिरता हूँ,
अजीब है ज़िन्दगी!!​

Answers

Answered by anilpandeypac912
0

Answer:

bohot ache..................

Answered by mithu456
0
उत्तर:मुझे कदम-कदम पर चौराहे मिलते हैं बाँहें फैलाए ! एक पैर रखता हूँ कि सौ राहें फूटतीं व मैं उन सब पर से गुज़रना चाहता हूँ, बहुत अच्छे लगते हैं उनके तजुर्बे और अपने सपने सब सच्चे लगते हैं: अजीब-सी अकुलाहट दिल में उभरती है, मैं कुछ गहरे में उतरना चाहता हूँ: जाने क्या मिल जाए!

व्याख्या:
व्याख्या:प्रत्येक छाती में एक अधीर आत्मा का निवास है। ' ऐसा कवि क्यों मानता है ? व मैं उन सब पर से गुज़रना चाहता हूँ, बहुत अच्छे लगते हैं उनके तजुर्बे और अपने सपने सब सच्चे लगते हैं, अजीब-सी अकुलाहट दिल में उभरती है, मैं कुछ गहरे में उतरना चाहता जाने क्या मिल जाए!
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