मुझे एक संस्कृत स्लोगन चाहिए प्लीज मेरी मदद करें
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Step-by-step explanation: नास्ति बुद्धिमतां शत्रुः ॥
भावार्थ :
बुद्धिमानो का कोई शत्रु नहीं होता ।
विद्या परमं बलम ॥
भावार्थ :
विद्या सबसे महत्वपूर्ण ताकत है ।
सक्ष्मात् सर्वेषों कार्यसिद्धिभर्वति ॥
भावार्थ :
क्षमा करने से सभी कार्ये में सफलता मिलती है ।
न संसार भयं ज्ञानवताम् ॥
भावार्थ :
ज्ञानियों को संसार का भय नहीं होता ।
वृद्धसेवया विज्ञानत् ॥
भावार्थ :
वृद्ध - सेवा से सत्य ज्ञान प्राप्त होता है ।
सहायः समसुखदुःखः ॥
भावार्थ :
जो सुख और दुःख में बराबर साथ देने वाला होता है सच्चा सहायक होता है ।
आपत्सु स्नेहसंयुक्तं मित्रम् ॥
भावार्थ :
विपत्ति के समय भी स्नेह रखने वाला ही मित्र है ।
मित्रसंग्रहेण बलं सम्पद्यते ॥
भावार्थ :
अच्छे और योग्य मित्रों की अधिकता से बल प्राप्त होता है ।
सत्यमेव जयते ॥
भावार्थ :
सत्य अपने आप विजय प्राप्त करती है ।
उपायपूर्वं न दुष्करं स्यात् ॥
भावार्थ :
उपाय से कार्य कठिन नहीं होता ।
विज्ञान दीपेन संसार भयं निवर्तते ॥
भावार्थ :
विज्ञानं के दीप से संसार का भय भाग जाता है ।
सुखस्य मूलं धर्मः ॥
भावार्थ :
धर्म ही सुख देने वाला है ।
धर्मस्य मूलमर्थः ॥
भावार्थ :
धन से ही धर्म संभव है ।
विनयस्य मूलं विनयः ॥
भावार्थ :
वृद्धों की सेवा से ही विनय भाव जाग्रत होता है ।
अलब्धलाभो नालसस्य ॥
भावार्थ :
आलसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होता ।
आलसस्य लब्धमपि रक्षितुं न शक्यते ॥
भावार्थ :
आलसी प्राप्त वस्तु की भी रक्षा नहीं कर सकता ।नास्ति बुद्धिमतां शत्रुः ॥
भावार्थ :
बुद्धिमानो का कोई शत्रु नहीं होता ।
विद्या परमं बलम ॥
भावार्थ :
विद्या सबसे महत्वपूर्ण ताकत है ।
सक्ष्मात् सर्वेषों कार्यसिद्धिभर्वति ॥
भावार्थ :
क्षमा करने से सभी कार्ये में सफलता मिलती है ।
न संसार भयं ज्ञानवताम् ॥
भावार्थ :
ज्ञानियों को संसार का भय नहीं होता ।
वृद्धसेवया विज्ञानत् ॥
भावार्थ :
वृद्ध - सेवा से सत्य ज्ञान प्राप्त होता है ।
सहायः समसुखदुःखः ॥
भावार्थ :
जो सुख और दुःख में बराबर साथ देने वाला होता है सच्चा सहायक होता है ।
आपत्सु स्नेहसंयुक्तं मित्रम् ॥
भावार्थ :
विपत्ति के समय भी स्नेह रखने वाला ही मित्र है ।
मित्रसंग्रहेण बलं सम्पद्यते ॥
भावार्थ :
अच्छे और योग्य मित्रों की अधिकता से बल प्राप्त होता है ।
सत्यमेव जयते ॥
भावार्थ :
सत्य अपने आप विजय प्राप्त करती है ।
उपायपूर्वं न दुष्करं स्यात् ॥
भावार्थ :
उपाय से कार्य कठिन नहीं होता ।
विज्ञान दीपेन संसार भयं निवर्तते ॥
भावार्थ :
विज्ञानं के दीप से संसार का भय भाग जाता है ।
सुखस्य मूलं धर्मः ॥
भावार्थ :
धर्म ही सुख देने वाला है ।
धर्मस्य मूलमर्थः ॥
भावार्थ :
धन से ही धर्म संभव है ।
विनयस्य मूलं विनयः ॥
भावार्थ :
वृद्धों की सेवा से ही विनय भाव जाग्रत होता है ।
अलब्धलाभो नालसस्य ॥
भावार्थ :
आलसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होता ।
आलसस्य लब्धमपि रक्षितुं न शक्यते ॥
भावार्थ :
आलसी प्राप्त वस्तु की भी रक्षा नहीं कर सकता ।
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