मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा ।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मुंठ देने लोग कपड़े की लगे।
ऐंठ बेचारी दबे पॉवों भगी |2|
जब किसी ढब से निकल तिनका गया ।
तब समझ ने यो मुझे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा ।
एक तिनका है बहुत तेरे लिए ।3।
sprasang vyakhya please
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मैं झिझक उठा हुआ बेचैन सा लाल होकर आप भी दुखने लगी मुद्दे ने लोगे कपड़े की लगे 88 बेचारी दबे पांव लगी
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