मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन - सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूंठ देने लोग कपड़े की लगे,
एंड बेचारी दबे पाँवों भगी
क) कवि और कविता का नाम लिखिए।
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मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन - सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूंठ देने लोग कपड़े की लगे,
एंड बेचारी दबे पाँवों भगी
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