मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,लाल होकर आँख भी दुखने लगी।मूंठ देने लोग कपड़े की लगे,ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।जब किसी ढब से निकल तिनका गया,तब 'समझ' ने यों मुझे ताने दिए।ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,एक तिनका है बहुत तेरे लिए।असोयाटि पाध्याय 'हरिऔध' bhavartha
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किम त्वम् कार्यम् करोति।
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hope this answer is right
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