मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोच पर भी तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक बड़ा घाव बन जाती है और यही घाव नासूर हो जाता है।
(a) पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। (२)
(b) प्रस्तुत पाठ का शीर्षक स्पष्ट कीजिए। (२)
(c) वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। (२)
Answers
(a) अगर हमें अपनी समस्या का समाधान करना है तो हमें अपने बडो की सलाह लेनी चाहिए इससे हमारे दिमाग का बोज भी हटता है
Answer:
(a) पाठ का उद्देश्य है कि इसमें पारिवारिक जीवन में स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाले संघर्षों को दर्शाया गया है। इस एकल में बरगद के पेड़ का चित्रण प्रतीकात्मक है। उसे माता-पिता के रूप में चित्रित किया गया है।
(b) श्री उपेंद्रनाथ ‘अश्क’ लिखित एकांकी ‘सूखी डाली’ एक पारिवारिक-सामाजिक एकांकी है।
(c) दादाजी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक छोटी सी खरोंच भी, अगर उस पर तुरंत दवा न लगाई जाए, तो बड़ा घाव हो जाता है और वही घाव नासूर बन जाता है। फिर लाख मलहम लगायें, नहीं सुधरता।
Explanation:
शिकायत कुछ भी हो, इसे बढ़ने नहीं देना चाहिए। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो परिणाम दु:खदायी होगा। हम सभी जानते हैं कि अगर एक छोटी सी खरोंच को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह एक पुराने घाव में बदल सकती है। उस समय उसका कितना भी इलाज किया जाए, वह जल्दी ठीक नहीं होता है। दादाजी की शिकायत थी कि पूरे परिवार को तितर-बितर न किया जाए। परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए उचित प्यार और सम्मान होना चाहिए। किसी का उपहास करना ठीक नहीं है।
#SPJ3