Hindi, asked by neetuchaudhary971931, 2 months ago

मैं झील हूँ,उकता गई हूँ
अब चाहती हूँ बहना,बौरा गई हूँ
जो भी यहाँ आता है,खामोशियाँ लाता है।
सुलझे हुए लोगों से, तंग आ गई हूँ।
इस चाँद को तो देखो, मुझमें ही झाँकता है।
अपने लम्हों को सीकर, हर रात काटता है
कम्बखत ने कभी एक बात तक नहीं की
धरती की अंजुली में घबरा गई हूँ
पानी का एक सच है, वह सच है बहते जाना।
रास्तों को छोड़ देना, रास्ते नए बनाना
चाहा नहीं था मैंने, मैं रोकी गई हूँ।
मैं झील हूँ,उकता गई हूँ​

Answers

Answered by IIQUEENll
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Answer:

मैं झील हूँ,उकता गई हूँ

अब चाहती हूँ बहना,बौरा गई हूँ

जो भी यहाँ आता है,खामोशियाँ लाता है।

सुलझे हुए लोगों से, तंग आ गई हूँ।

इस चाँद को तो देखो, मुझमें ही झाँकता है।

अपने लम्हों को सीकर, हर रात काटता है

कम्बखत ने कभी एक बात तक नहीं की

धरती की अंजुली में घबरा गई हूँ

पानी का एक सच है, वह सच है बहते जाना।

रास्तों को छोड़ देना, रास्ते नए बनाना

चाहा नहीं था मैंने, मैं रोकी गई हूँ।

मैं झील हूँ,उकता गई हूँ

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