मांझी से’ कवयित्री ललद्यद का क्या आशय है?
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उत्तर कवयित्री के पास माझी अर्थात् परमात्मा को उतराई पर देने के लायक कुछ भी नहीं है। उसे जिस सहज-साधना की आवश्यकता थी, कवयित्री ललद्यद उससे वंचित हैं। वे तो भ्रामक साधनों द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करती रहीं और जीवन निरर्थक गँवा दिया। ... ईश्वर को केवल व्यक्ति जान सकता है, जिसने स्वयं को जान लिया हो।
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