Hindi, asked by kumarshoven, 3 months ago

मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक अर्थ स्पष्ट कीजिए​

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Answered by Divyani027
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ऊपर दिए गए चित्र मे आपके सवाल का जवाब दिया गया है।

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Answered by shishir303
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मुझे तोड़ लेना बनमाली,

उस पथ में देना तुम फेंक ।

मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने,

जिस पथ जावें वीर अनेक ।।

संदर्भ : यह पंक्तियां माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ की हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने एक पुष्प की अभिलाषा व्यक्त की है जो देश पर अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले वीरों के सम्मान के प्रति अपने भाव व्यक्त कर रहा है।

भावार्थ : इस कविता में एक पुष्प अपनी अभिलाषा व्यक्त करता हुआ कहता है कि हे वनमाली! मुझे यह चाह नहीं कि मैं किसी सुंदरी के गहनों में गूंथा जाऊं और उसके सिर या अंगों की शोभा को बढाऊँ। ना ही मुझे किसी प्रेमी-प्रेमिका की माला बनने अभिलाषा है। ना ही मैं किसी प्रेमी की प्रियतमा के आकर्षण का कारण बनना चाहता हूँ। मुझे बड़े-बड़े चक्रवर्ती सम्राटों के शव पर श्रद्धांजलि के रूप में चढ़ने की कोई अभिलाषा नहीं है।

मुझे यह भी चाह नहीं है कि मैं भगवान के चरणों में चढ़ाया जाऊँ और वहां भगवान के चरणों में चढ़कर अपने भाग्य पर गर्व करूं। मुझे इनमें से कोई भी चाह नहीं है।

मुझे तो केवल चाह इतनी है कि हे वनवाली ! तुम मुझे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक देना, जिस रास्ते से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देने वाले भी जा रहे हो।

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