माँ के जैसी प्रकृति हमारी
करती हमसे प्यार।
नदियाँ, झरने, पर्वत सागर
पेड़ दिए उपहार।
Answers
Explanation:
बागों में जब बहार आने लगे,
कोयल अपना गीत सुनाने लगे,
कलियों में निखार छाने लगे,
भँवरे जब उन पर मंडराने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
खेतों में फसल पकने लगे,
खेत खलिहान लहलाने लगे,
डाली पे फूल मुस्काने लगे,
चारों ओर खुशबू फैलाने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
आमों पे बौर जब आने लगे,
पुष्प मधु से भर जाने लगे,
भीनी-भीनी सुगंध आने लगे,
तितलियाँ उनपे मंडराने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
सरसों पर पीले पुष्प दिखने लगे,
वृक्षों में नई कोंपले खिलने लगे,
प्रकृति सौंदर्य छटा बिखेरने लगे,
वायु भी सुहानी जब बहने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
धूप जब मीठी लगने लगे,
सर्दी कुछ कम लगने लगे,
मौसम में बहार आने लगे,
ऋतू दिल को लुभाने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती
चाँद भी जब खिड़की से झाँकने लगे,
चुनरी सितारों की झिलमिलाने लगे,
योवन जब फाग गीत गुनगुनाने लगे,
चेहरों पर रंग अबीर गुलाल छाने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
Answer:
पेड माँ के जैसे हमसे प्यार करती है