माँ के किस ऋण की बात कवि कहते हैं ?
Answers
Answered by
2
Answer:
व्याख्या-कवि कहता है कि हे मातृभूमि ! हे माँ! मुझ पर तुम्हारा बहुत ऋण है, परन्तु मैं एकदम गरीब हूँ अर्थात् तुम्हारा ऋण चुकाने में असमर्थ हूँ। किन्तु मैं फिर भी इतना निवेदन कर रहा हूँ कि जब भी मैं थाल में अपना सिर सजा कर लाऊँ, तो तब तुम मेरी वह भेंट दया करके स्वीकार कर लेनाl
Answered by
1
Explanation:कभी मातृभूमि से उसके द्वारा प्रदान विभिन्न प्रकार के संसाधनों जो मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यकता है जिसके बिना मानव का जीवन नहीं है जैसे जल्द न्याय फल फूल खनिज पदार्थ आदि इस धारा पर भरे पेड़ है जिससे मातृभूमि हमें प्रदान करती है इन्हीं रिवर था दो कारों की बात कभी कहते हैं
Similar questions