Hindi, asked by tyagibhumika01, 7 months ago

मोको कहां ढूंढे बंदे , मैं तो तेरे पास में।
ना मै देवल ना मै मस्जिद,ना जाने कलास में।
ना तो कौने किया क्रम में,नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरत हि मिलिहों, पल भर की तलाश में ।
कहे कबीर सुनो भई साधो, सब सवांसो की स्वांस में ।
(1) इस काव्यांश में 'भै' और 'तेरे 'शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं?
(2) इस पद में कबीर क्या कहना चाहते हैं?
(3) मनुष्य को इस पद से क्या प्रेरणा मिलती है?​

Answers

Answered by kavyarana28
2

Answer:

❤️

Explanation:

ईश्वर कहाँ है और तुम उसे कहाँ ढूँढ रहे हो ? मैं जहाँ हूँ तुम वहां मुझे नहीं खोज रहे हो और तुम मुझे मंदिर मस्जिद में खोज रहे हो। ईश्वर किसी स्थान विशेष का नहीं है वरन तो इस श्रष्टि के कण कण में व्याप्त है। ना तो मैं मंदिर में हूँ और ना ही मस्जिद में, मैं ना तो काबे में हूँ और ना ही कैलाश में। ईश्वर को पवित्र और तीर्थ स्थानों पर ढूँढना मूर्खता है। किसी विशेष क्रिया कर्म से या वैराग्य धारण करने पर मुझे पाया जा सकता है। यदि कोई खोजने वाला हो तो मैं तो प्रत्येक सांस में मौजूद हूँ। तुम अंदर ढूंढो मैं अंदर ही हूँ। ऐसे ही बाबा बुल्ले शाह ने कहा की मंदिर मस्जिद में जा करके इश्वर को ढूंढ़ता है, जो अंदर बैठा है उसे कभी पकड़ा ही नहीं।

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