Hindi, asked by ompandeykvs, 3 months ago

मोको कहां ढूंढे बंदे, मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना में मस्जिद, ना काबे कैलाश में । ना तो कौन है क्रिया कर्म में, नहीं योग बैराग में ।
खोजी होए तो तुरते मिलिहौ, पर भर की तालास में।
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसों की स्वास में।

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Answered by kavyanjalichauhan15
4

इस sabad का अर्थ यह है की-लोग भगवान की तलाश में मंदिर, मस्जिद, मजार और तीर्थस्थानों पर बेकार भटकते हैं। पूजा पाठ या तंत्र मंत्र सिर्फ आडम्बर हैं। इनसे ईश्वर नहीं मिलते हैं। भगवान तो हर व्यक्ति की हर सांस में बसते हैं। जरूरत है उन्हें सही ढ़ंग से खोजने की। जो सही तरीके से ध्यान लगाकर ईश्वर को खोजता है उसे वे तुरंत मिल जाते हैं।

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