मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ एक कुत्ता और एक मैना के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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‘एक कुत्ता और एक मैना ‘ पाठ में हजारी प्रसाद द्विवेदी ने गुरुदेव रविंद्रनाथ से संबंधित अपनी स्मृतियों को आत्मकथात्मक शैली में प्रस्तुत किया है। इस पाठ में पशु पक्षियों में मिलने वाले प्रेम, भक्ति, विनोद और करुणा जैसे मानवीय भावनाओं का विस्तृत वर्णन है। इसमें रवींद्रनाथ की कविताओं और उनसे जुड़ी स्मृतियों के माध्यम से गुरुदेव की संवेदनशीलता, विराटता और सहजता के चित्र तो उकेरे ही गए हैं, पशु पक्षियों के संवेदनशील जीवन का भी बहुत सूक्ष्म निरीक्षण है ।यह निबंध हमें सभी जीवो से प्रेम करने की प्रेरणा देता है।
उत्तर :
जब गुरुदेव शांतिनिकेतन से श्रीनिकेतन रहने के लिए चले गए तो उनका कुत्ता 2 मील की यात्रा करके तथा बिना किसी के राह दिखाए उनसे मिलने चला आया था। जय गुरुदेव ने उस पर अपना हाथ फेरा तो वह आंखें बंद करके आनंद के सागर में डूब गया था। जब गुरुदेव का चिताभस्म आश्रम में लाया गया तो यही कुत्ता आश्रम के द्वार से ‘उत्तरायण’ तक चिताभस्म के कलश के साथ गया और कुछ देर तक चुपचाप कलश के पास बैठा रहा। इसी प्रकार से एक लंगड़ी मैना बिना किसी भय के गुरुदेव के पास फुदकती रहती थी। इससे स्पष्ट है कि मूक प्राणी भी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Answer:
'एक कुत्ता और एक मैना’ निबंध में कुत्ते का संस्मरण पढ़ने से ज्ञात होता है कि मूक प्राणी भी बहुत संवेदनशील होते हैं। वह स्वामिभक्त कुत्ता गुरुदेव का सान्निध्य पाने के लिए दो मील का अनजान रास्ता तय करके गुरुदेव के पास श्री निकेतन आ गया और गुरुदेव का प्यार भर स्पर्श पाकर आनंदित हो उठा। इसी तरह गुरुदेव की मृत्यु पर वह चिताभस्म लाने वाले के साथ-साथ चलता हुआ उत्तरायण तक आया और चिताभस्म के पास बड़ी देर तक शांत भाव से बैठा रहा।