मुक्ताहार का उदाहरण क्यों दिया
गया है।
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रूठे सुजन मनाइए , जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।।
भावार्थ:- रहीम जी कहते हैं कि जब भी कोई हमारा अपना प्रियजन हमसे रूठ जाए तो उसे मना लेना चाहिए, भले ही हमें उसे सौ बार ही क्यों ना मनाना पड़े ,प्रियजन को अवश्य ही मना लेना चाहिए।
रहीम जी इस दोहे के माध्यम से हमें प्रियजनों के महत्त्व को बता रहे हैं। प्रियजनो का उदाहरण मोतियों से देते हुए बताते हैं कि जिस प्रकार मोतियों की माला के बार-बार टूटने पर भी हर बार मोतियों को पिरोकर हार (माला) बना लिया जाता है उन्हें फेका या छोरा नहीं जाता वैसे ही हमें भी प्रियजनो को मना लेना चाहिए , उन्हें साथ में रखने के महत्ता पे जोर दिया गया है
[सुजन का अर्थ सिर्फ प्रियजन से ही नहीं है अच्छे सज्जन व्याक्ति से भी है। ( ये मेरी व्यक्तिगत सोच है]
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