मां की तुलना से क्यों की गई है पूल
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बीते कुछ सालों में भारत में 'मदर्स डे' मनाने का प्रचलन काफी बढ़ा है। यह पश्चिम की नकल और बाजार के स्वार्थ का नतीजा है जो हर रिश्ते को भुनाना चाहता है लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि इसने हमारे सोए हुए रिश्तों को जगाया भी है। फादर्स डे को ही लें, बच्चे और युवा पहले कहां पिता की भावनाओं के बारे में सोचते थे। अमेरिकी महिला अन्ना जारविस ने मदर्स डे की शुरूआत की थी। वह मां के त्याग, प्यार और बलिदान को उस दिन धन्यवाद देना चाहती थीं। लेकिन मां की तपस्या और त्याग के आगे धन्यवाद शब्द बेहद छोटा है। मां के लिए सिर्फ एक दिन तय करना अन्याय होगा पर भागदौड़ की जिंदगी में एक दिन भी हम सुकून से अपनी मां से बात कर सकें, उनकी खुशियों का ख्याल रख सकें या उनके लिए कुछ ऐसा कर सकें जिससे उन्हें लगे कि हम उनकी भावनाओं का महत्व समझते हैं, तो उसकी मेहनत सार्थक हो जाएगी।