Hindi, asked by ranahemu453, 4 months ago

मुकुट शुभ्र हिम-तुषार,
प्राण प्रणव ओंकार
ध्वनित दिशाएँ उदार,
शत्तमुख शतरव मुखरे।
उक्त कवितांश की संदर्भ सहित व्याख्या
कीजिए।​

Answers

Answered by shishir303
7

मुकुट शुभ्र हिम-तुषार,

प्राण प्रणव ओंकार

ध्वनित दिशाएँ उदार,

शत्तमुख शतरव मुखरे।

संदर्भ ► उक्त कवितांश ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित कविता ‘भारति जय-विजय’ से ली गयीं है। इस कविता में कवि ने भारत माता के गुणों का यशगान किया है, और भारत माता के प्रति अपने भावों को प्रकट किया है।

उपरोक्त पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है...

व्याख्या ► हिमालय की बर्फ आच्छादित चोटियां भारत माँ के मस्तक पर स्वर्ण मुकुट के सामन सुशोभित हो रही हैं। ओंकार प्रणव ही उनका प्रणय है। सैकड़ों भारतीयों के मुख से असंख्य बार उच्चरित ओंकार की जो ध्वनि है, वह दसों दिशाओं में मुखरित हो रही है।

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Answered by mg3600002
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Explanation:

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