माँ
की तबियत ठीक न होने पर माँ
और पुत्र के मध्य हुए
संवाद को लिखे।
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मां के बिना जन्म सम्भव नहीं है । प्रथम गुरु भी मां है । मां जीवन का सत्य है । जिसकी मां नहीं होती है यानि बचपन में बिछडे जाती है कारण कुछ भी हो सकता है । उसका जीवन संधर्ष से भर होता है ।
ऐसे ही जीवन के संधर्ष की लघुकथाओं को पेश किया जा रहा है । अनुभव व संधर्ष सभी के अपने अपने है । इसलिए लघुकथा की विषय वस्तु अलग - अलग होना निश्चित है । भाषा शैली भी अलग अलग होगी । यही स्थिति ही लघुकथा की पहचान होती है । जो लेखक की मौलिक पहचान होती है ।
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