मैं कभी-कभी सोचता हूं या पागल तो नहीं हो गए भगत के विषय में लेखक की अवधारणा का उपयुक्त है उत्तर दीजिए
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लेखक बालगोबिन के संबंध में क्या और क्यों सोचता है? लेखक को कभी-कभी यह लगता था कि कहीं बालगोबिन पागल तो नहीं हो गए हैं क्योंकि वे अपने एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर भी शोक मनाने पर आनंद मना रहे हैं तथा अपनी पतोहू को भी रोने के स्थान पर उत्सव मनाने के लिए कह रहे हैं। उन्हें मृत्यु आनंद मनाने का अवसर लगता है।
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