म ाँ!कह एक कह नी कवित
“म ाँ ! कह एक कह नी I’’
“बेट , समझ चलय क्य तूने
मुझको अपनी न नी?’’
“कहती है मुझसे यह िेटी,
तू मेरी न नी की बेटी !
कह म ाँ ! कह,लेटी ही लेटी,
र ज थ य र नी?
म ाँ,कह एक कह नी I’’
“तू है हठी,म नधन मेरे,
सुन,उपवन में बड़े सवेरे,
त त भ्रमण करते थे तेरे,
जह ाँ सुरचि मनम नी I’’
“जह ाँ सुरचि मनम नी?
ह ाँ,म ाँ यही कहनी’’ Q.3.चनम्न क व्य पंचियों क ि व थय अपने शब्दों में चलचखए
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