मुकर्जी के अनुसार परम्पराओं मेंन्द्र कैसे होता है?
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डी.पी. मुकर्जी द्वन्द्वात्मक उपागम के पक्षधर थे। किसी समाज का विकास द्वन्द्वात्मक क्रिया के कारण होता है। दो विरोधी शक्तियाँ प्रत्येक समाज में पाया जाती हैं। इन शक्तियों में परस्पर संघर्ष के कारण इसका अंत नये समाज के रूप में होता है। मार्क्स इसको वाद विवाद संवाद का रूप बताते हैं। वाद के कारण किसी विषय की शुरुआत होती है, जो विरोधी विचारों को जन्म देती है। दूसरी और एक शक्ति इसके विपरीत होती है, जिसे प्रतिवाद कहा जाता है, इनमें संघर्ष होता है। इस संघर्ष के कारण नई स्थिति का जन्म होता है। इसे संवाद कहते हैं। संवाद एवं वाद के कारण प्रतिवाद उत्पन्न होता है। वाद-प्रतिवाद में संघर्ष और पुनः समन्वय पाया जाता हैं। इस प्रक्रिया से समाज का विकास होता है।
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it is the example of such composition of books by RK Mukherjee
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