मुकताफल मुकता चुनें, अब उड़ि अनत न जाहिं।1।
प्रेमी ढूँढत मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ।
प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ। 21
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, दूंकन दे झख मारि।3।
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान। 4। hindi meaning
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मान सरोवर झील जल से लबालब भरी है उसमें हंस क्रिया कर रहे हैं वे मोतियो को चुगते हैं और ऐसे आनंददायक स्थान छोड़ कर कहीं और नहीं जाते
मैं सच्चे ईश्वर प्रेमी को ढुढता फिर रहा हूँ पर ऐसा प्रेमी मिलता मुझे कोई मिला ही नहीं जो ईश्वर का सच्चा प्रेमी है उसे ही प्रेमी मिलता है और जब ऐसा होता है तब मन की सारी बुराईयों का विष अच्छाईयों का अमृत बन जाता है
कबीर ज्ञानमार्ग कवि थे उनका मानना है कि सहज समाधि का दुलीचां बिछा कर ज्ञान के हाथी की सवारी करो अथात् ज्ञान प्राप्ति के लिए सहज समाधि लगाओ तुम्हारी आलोचना करने वाले यदि कुत्तो के समान भौकते है तो उन्हें भौकने दो उनकी चिंता न करो
कबीर कहते हैं कि किसी न किसी संप्रदाय के समर्थन में या उसका विरोध करने में ही सब लगे हुए हैं यह उनकी भुल है वास्तविक ज्ञानी या सज्जन तो वह है जो संप्रदायों से ऊपर उठकर, निष्पक्ष होकर ईश्वर का भजन करते हैं
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