Science, asked by babyanjum1318, 1 month ago

मौखिक
फ़ास्ट-फूड क्या है?​

Answers

Answered by pranmyabhagwat
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Answer:

Fast Food is junk Food

Explanation:

Answered by nanditapsingh77
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जंक फूड आमतौर पर विश्व भर में चिप्स, कैंडी जैसे अल्पाहार को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट फूड को भी जंक फूड की संज्ञा दी जाती है तो कुछ समुदाय जाइरो, तको, फिश और चिप्स जैसे शास्त्रीय भोजनों को जंक फूड मानते हैं। इस श्रेणी में क्या-क्या आता है, ये कई बार सामाजिक दर्जे पर भी निर्भर करता है। उच्चवर्ग के लिए जंक फूड की सूची काफी लंबी होती है तो मध्यम वर्ग कई खाद्य पदार्थो को इससे बाहर रखते हैं। कुछ हद तक यह सही भी है, खासकर शास्त्रीय भोजन के मामले में। सदियों से पारंपरिक विधि से तैयार होने वाले ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

संजय गांधी स्नातकोत्तर अनुसंधान संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ॰ सुशील गुप्ता के अनुसार जंक फूड आने से पिछले दस सालों में मोटापे से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है। इनमें केवल बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी शामिल है।[1] इसी संस्थान के गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर जी. चौधरी कहते हैं कि, जंक फूड में अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट, वसा और शर्करा होती है। इसमें अधिकतर तलकर बनाए जाने वाले व्यंजनों में पिज्जा, बर्गर, फ्रैंकी, चिप्स, चॉकलेट, पेटीज मुख्य रूप से शामिल हैं। वीएलसीसी की आहर विशेषज्ञ पल्लवी केअन अनुसार बर्गर में १५०-२००, पिज्जा में ३००, शीतल पेय में २०० और पेस्ट्री, केक में करीब १२० किलो कैलोरी होती है जो आजकल लोगों पर मोटापे के रूप में हावी हो रहा है। यह भी कहा गया है कि गर्भावस्था में गलत खानपान से आने वाले बच्चे को आजीवन मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर का खतरा हो सकता है। इंग्लैंड में रॉयल वेटेनरी कॉलेज की शोधकर्त्ताओं की टीम ने चूहों पर इस बारे में प्रयोग किया। उन्होंने मादा चूहों के एक समूह को गर्भावस्था और स्तनपान के समय, डोनट्स, माफिन, कुकीज, चिप्स और मिठाई जैसे प्रोसेस्ड जंक फूड खाने को दिए। वहीं गर्भवती मादा चूहों के दूसरे समूह को जंक फूड न देकर सामान्य खाद्य पदार्थ दिए गए। शोधकर्त्ताओं ने मादा चूहों के इन दोनों समूहों का तुलनात्मक अध्ययन किया। जिन मादाओं को जंक फूड दिए गए थे उनसे पैदा होने वाले बच्चों में कोलेस्ट्रॉल और रक्त में वसा का स्तर ज्यादा पाया गया। ध्यान योग्य है कि कोलेस्ट्रॉल और वसा दोनों ही चीजें हृदय रोग का जोखिम बढ़ा देती हैं। यही नहीं जंक फूड लेने वाली गर्भवती चुहियों के बच्चों में ग्लूकोज और इंसुलिन का स्तर भी बढ़ा हुआ पाया गया, जो टाइप-2 मधुमेह के खतरे को बढ़ाते हैं। ऐसी माताओं के बच्चे बड़े होने पर भी मोटापे से ग्रस्त रहे। यह स्टडी जरनल ऑफ फिजियोलॉजी के ताजा अंक में छपी है।[2] जंक फूड के सेवन और मोटापा से महिलाओं में हारमोन की कमी हो जाती है जिससे वे बांझपन की शिकार हो सकती हैं।[3]

पोषण विशेषज्ञ और चिकित्सक जंक फूड का उपयोग घटाने और संतुलित आहार को बढ़ावा देने की कोशिशों में लगे रहते हैं। जंक फूड शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले १९७२ में किया गया था। इसका उद्देश्य था ज्यादा कैलोरी और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थो की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट करना। समय के साथ लोगों की इसमें रुचि बढ़ी लेकिन खाद्यान्न उत्पादन करने वालों पर खास असर नजर नहीं आया जो धीरे-धीरे इनकी किस्में बढ़ाते रहे। इसकी वजह जंक फूड का रखरखाव काफी आसान होना है। जंक फूड का प्रयोग हानिकारक नहीं है, बशर्ते खानपान में संतुलित आहार की कोई कमी न हो। आलू के चिप्स खा लेने में कोई बुराई नहीं, लेकिन पूरी तरह जंक फूड पर निर्भर होने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। फिर भी, जंक फूड बच्चों को काफी लुभाता है, इसे देखते हुए कई देशों में इनके विज्ञापनों पर नियंत्रण और निगरानी की व्यवस्था भी की गई है।

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