मुखिया के टपरे हरियाये
बनवारी के घाव
सावन की झांसी में गुमसुम
भीग रहा है गाँव
धन्नो के टोले का तो
हर छप्पर छलनी है
सब की सब रातें अब तो
आँखों में कटनी हैं
चुवने घर में कहीं नहीं
खटिया भर सूखी ठाँव
निंदियारी आँखें लेकर
खेतों में जाना है
रोपाई करते करते भी
कजली गाना है
कीचड़ में ही चलते चलते
सड़ जाएंगे पाँव
please write the summary in hindi no english please
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sorry but I am not understanding your language only.
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