मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक ।
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ।।
जड़ चेतन, गुण-दोषमय, विस्व कीन्ह करतार ।
संत-हंस गुण गहहिं पय, परिहरि वारि विकार ।।
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ધી સમજ ભાઈ શાયદ વહી હે. ક્યો કી મુજે પતા નહી sorry
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