'मेखलाकार'शब्द का क्या अर्थ है ?(१ अंक)
करघनी के समान गोल
गोल सा
धरती के समान गोल
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मेकला कार का शाब्दिक अर्थ है जो करगनी के समान गोल हो इस शब्द का प्रयोग कवि ने पर्वतों की श्रंखला के संबंधित किया है। पावस ऋतु में करगनी के आकार पृथ्वी के चारों ओर फैलता है।
'मेखलाकार'शब्द का क्या अर्थ है ?
करघनी के समान गोल
‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है-मंडलाकार करधनी के आकार के समान। यह कटि भाग में पहनी जाती है। पर्वत भी मेखलाकार की तरह लग रहा था जैसे इसने पूरी पृथ्वी को अपने घेरे में ले लिया है। कवि ने इस शब्द का प्रयोग पर्वत की विशालता और फैलाव दिखाने के लिए किया है।
कवि ने इस कविता में प्रकृति का ऐसा वर्णन किया है कि लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी है। कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप हर पल बदल रहा है कभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है। पर्वतों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे है जैसे पर्वतों की आँखे हो और वो इन आँखों के सहारे अपने आपको अपने चरणों ने फैले दर्पण रूपी तालाब में देख रहे हों। पर्वतो से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों। बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों,चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।