माखण मन पाहण भया, माया रस पीया ।
पाहण मन माखण भया, राम रस लीया ।।
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माखण मन पाहण भया, माया रस पीया ।
पाहण मन माखण भया, राम रस लीया ।।
यह दोहा कविवर ‘दादू दयाल’ द्वारा रचित ‘दादू ग्रंथावली ’ के ‘अथ माया का अंग’ पदावली से लिया गया है। इस दोहे में कविवर ‘दादूदयाल’ ने राम नाम की महिमा का बखान किया है।
भावार्थ — कविवर दादू दयाल कहते हैं कि जिसका मन मक्खन की तरह कोमल है लेकिन यदि उसके पास धन, पद, प्रतिष्ठा, यश और मान-सम्मान आदि आ जाते हैं तो वह इन सब के लोभ में पड़ जाता है और इस मोह-माया में फंसकर उसका कोमल मन भी पत्थर की तरह कठोर हो जाता है। लेकिन यदि कोई राम नाम का रस पी ले तो जिसका मन पत्थर है वह मक्खन की तरह कोमल हो जाता है।
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thanks bro आपके वजहसे मै इस question का answer exam मे लिख पाऊनगी थांक्यु सो मच bro
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