माखनलाल चतुर्वेदी की कला पक्ष बताइए
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इनकी कविता में यदि कहीं ज्वालामुखी की तरह धधकता हुआ अन्तर्मन है तो कहीं पौरुष की हुंकार और कहीं करुणा से भरी मनुहार है। इनकी रचनाओं की प्रवृत्तियाँ प्रायः स्पष्ट और निश्चित हैं। राष्ट्रीयता इनके काव्य का कलेवर है, तो भक्ति और रहस्यात्मक प्रेम इनकी रचनाओं की आत्मा। इनकी छन्द-योजना में भी नवीनता है।
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