मौलिक अधिकारों में संशोधन के लिए किस प्रकार के संशोधन की आवश्यकता है
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भारतीय संविधान का संशोधन भारत के संविधान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। इस तरह के परिवर्तन भारत की संसद के द्वारा किये जाते हैं।
दशक प्रति प्रति दशक भारत में संवैधानिक संशोधनों की संख्या[1]
इन्हें संसद के प्रत्येक सदन से पर्याप्त बहुमत के द्वारा अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए और विशिष्ट संशोधनों को राज्यों के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया का विवरण संविधान के लेख 368, भाग XX में दिया गया है।
इन नियमों के बावजूद 1950 में संविधान के लागू होने के बाद से इस में 126 संशोधन किये जा चुके हैं। विवादस्पद रूप से भारतीय सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) के अनुसार संविधान में किये जाने वाले प्रत्येक संशोधन को अनुमति देना संभव नहीं है। एक संशोधन इस प्रकार होना चाहिए की यह संविधान की "मूल सरंचना" का सम्मान करे, जो कि अपरिवर्तनीय है।
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