मालिक दासों से कैसा व्यवहार करते थे
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नौकर और मालिक यह दोनों व्यापार जगत की आधारशिलाएं हैं मालिक का वर्चस्व कायम रहे इसके लिए नौकर का होना बहुत जरूरी है इसी जरूरत के मुताबिक मालिक को चाहिए कि वह सदा अपने नौकर का पूरा पूरा ध्यान रखें उसी समय पर वेतन प्रदान करें तथा उसकी समस्याओं का निराकरण करने में उसकी मदद करें। नौकर को भी अपने मालिक के प्रति पूर्णता वफादार रहना चाहिए तथा मालिक के व्यवसाय को अपनी समग्र चेष्टा ओं के माध्यम से विकसित करने में संलग्न एवं संयुक्त रहना चाहिए।
मेहनत के साथ-साथ अपने मालिक के साथ नौकर को विनम्रता पूर्वक मीठी वाणी का प्रयोग करते हुए बर्ताव करना चाहिए तथा मालिक को सदैव अच्छी सलाह द्वारा समृद्ध पत्र की ओर आगे बढ़ाने की चेष्टा में लगे रहना चाहिए। वस्तुतः नौकर और मालिक परस्पर एक दूसरे के पूरक होते हैं एक की सत्ता दूसरे के अस्तित्व पर ही कायम है आतिफ दोनों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बना ही रहना चाहिए।
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