मेले का दृश्य कैसा था ?
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Explanation:
भारत मेलों तथा त्योहारों का देश है। वे हमारा बहुत मनोविनोद कराते हैं। नगर के लोगों के पास आकर्षण तथा मनबहलाव के कई साधन होते हैं। वे चमकते हुए बाजारों, बड़े होटलों तथा सिनेमाघरों में जा सकते हैं। साप्ताहिक बाजारों से वे सुविधापूर्वक अपनी मनचाही वस्तुएं खरीद लेते हैं। ऐसी सुविधाएं बेचारे ग्रामवासियों को उपलब्ध नहीं हैं। ग्रामों में काफी दूरी पर बाजार होते हैं। ग्रामवासियों का जीवन बड़ा कठोर तथा आकर्षणहीन होता है। मनोविनोद के साधन उनके पास नहीं हैं। उनका विलग जीवन नागरिक आधुनिकीकरण से वंचित है।
ग्रामों में प्रति वर्ष बहुत मेले लगते हैं। ये प्रायः किसी त्योहार के अवसर पर ही लगते हैं। होली का मेला, रक्षाबन्धन का मेला, बसन्त मेला तथा बैसाखी मेला प्रमुख मेले हैं। हमारे क्षेत्र में बाबा हरिदास का मेला प्रमुखतम है। यह ग्राम झाड़ोदा कलां में वर्ष में दो बार लगता है।
इस वर्ष मुझे यह मेला देखने का अवसर मिला। यह ग्राम के बीच में लगा था। वहां पर बाबा की समाधि के चारों ओर बहुत बड़ा खुला स्थान है। हजारों की संख्या में नर-नारी तथा बच्चे दूर और समीप से अपने बन्धुओं के साथ वहां आए। मुझे वहां बड़ी चहल-पहल नजर आई। लोगों ने अपनी बैलगाड़ियां, स्कूटर, मोटर साईकिल, ट्रक, टैम्पो तथा ट्रोलियां गांव के बाहर ही खड़ी कर दी थीं। बहुत-से लोग पहली रात को वहीं पर ठहर गये थे। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की छठ थी। वहां पर बहुत-सी अस्थायी दुकानें लगी हुई थीं। प्रातः से ही मेला पूरे जोरों पर था। सभी ने ‘मल्लाह’ (तालाब) में स्नान किया। कुछ स्त्रियों ने अपने नन्हें बच्चों के बाल उतरवाये तथा मल्लाह के शुद्ध जल में प्रवाहित कर दिये। स्नान करने के उपरान्त लोगों ने समाधि पर मस्तक झुकाया और घी के दीपक जलाये। सभी ने वहां प्रसाद चढ़ाया और बांटा। मनुष्यों, स्त्रियों तथा बच्चों ने वहां भिन्न-भिन्न प्रतिज्ञाएं की तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थनाएं की।
मैंने बाजार की तरफ अग्रसर होती हुई भारी भीड़ को देखा। सभी सुन्दर वस्त्रों तथा प्रसन्नचित मुद्रा में थे। मिठाइयों की दुकानों पर सबसे अधिक भीड़ थी। लोग मिठाइयोंके डिब्बे खरीद रहे थे। कुछ ग्राहक दुकानदारों को ठगने के चक्कर में थे। उन्हें पकड़ा गया तथा उनका अपमान किया गया । छोटे बच्चे खिलौने, टॉफियां तथा गुब्बारे खरीदने में व्यस्त थे। नट, मदारी और जादूगर बहुत बड़े जमघट को आकर्षित कर रहे थे। लोग मन्त्र-मुग्ध होकर उनके करतब देख रहे थे। पुलिस के कर्मचारी, स्काउट तथा स्वयंसेवक भीड़ को नियन्त्रित कर रहे थे और लोगों का मार्ग-दर्शन कर रहे थे। जेबकतरे भी अपने धन्धे में लगे हुए थे। एक जेब-तराश एक स्त्री का हार छीनकर भागने लगा। वह रंगे हाथों पकड़ा गया। उसे बुरी तरह से पीटा गया तथा पुलिस के हवाले कर दिया गया। सभी सावधान हो गए। छोटे-छोटे लड़के, लड़कियां तथा नव-विवाहित युगल हिन्डोलों में झल रहे थे। सपेरे बीन बजा रहे थे तथा दर्शकों को भिन्न-भिन्न आकार व प्रकार के सांप दिखा रहे थे। मेले में कई प्याऊ लगी हई थीं। चूड़ी तथा प्रसाधन सामग्री आदि बेचने वाले स्त्रियों को आकर्षित कर रहे थे। स्त्रियां पाउडर, बालों की पिनें, नाखून पालिश, क्रीम, शीशे, कंघे, रिबन तथा जेवर खरीद रही थीं। गर्म केकों के समान गोल-गप्पे और चाट बिक रहे थे। सर्कस के खेल में नवीनता थी तथा उसके प्रति लोग आकर्षित थे। फेरी वाले, छाबड़ी वाले तथा अन्य पैदल विक्रेता जोर-जोर से बोलकर अपना माल बेच रहे थे। सस्ती तथा बासी खाद्य सामग्री वहां बिक रही थी। बहुत-से लोगों ने देवी-देवताओं और प्रसिद्ध फिल्मी सितारों के भिन्न-भिन्न रूप वाले चित्र व कलैण्डर खरीदे। मनुष्यों ने कश्तियां देखीं। विजेताओं को इनाम मिले। सेवा-समिति के शिविरों द्वारा खोए हुए बच्चों के बारे में घोषणाएं की जा रही थीं।
Thanks.