|| मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसका कर जो भाग गया।
जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।।
उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?
छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ?
क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?
अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
दिए गए कावयंश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिरिवए:
(क) कवि को किस बात का दुख है?
(i) स्वप्न देखकर जागने का
(ii) सुख-स्वप्न साकार न होने का
(iii) स्वप्न में सुख प्राप्त न होने का
(iv) स्वप्न में सुख प्राप्त होने का
(ख) ‘अनुरागिनी उषा' का क्या अर्थ है?
(i) भोर का आकाश लालिमा अर्थात् प्रेम से पूर्ण है।
(ii) अनुराग से भरी उषा
(iii) प्रेममयो उषा
(iv) अनुराग से भरा हुआ आसमान
(ग) “थके पथिक' किसे कहा गया है?
(i) एक राहगीर को
(ii) कवि को
(iii) वृद्ध व्यक्ति को
(iv)मुसाफिरों को
(घ) पथिक का पाथेय क्या है?
(i) औरों के बीते हुए जोवन को कहानियाँ
(ii) बीते हुए जीवन की कथाएँ
(iii) बोते हुए जोवन को व्यथा
(iv) बीते हुए जीवन को स्मृतियाँ
(ङ) इस पद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
(i) स्मृति पाथेय
(ii) साकार स्वप्न
(iii) मौन व्यथा
(iv) कवि को आत्मकथा
Answers
(III) fast question ans
( ii) second ans
(iv) third ans
(Iv) forth ans
(I) fifth ans
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दिए गए कावयंश के प्रश्नों का उत्तर इस प्रकार है:
(क) कवि को किस बात का दुख है?
उत्तर : स्वप्न देखकर जागने का
कवि उस सपने के बारे में बात कर रहा है , वह सपना जो देखते-देखते मैं जाग गया था | उसे जीवन में किसी सुख की प्राप्ति कभी नहीं हुई| सपने में जिस सुख का अनुभव कर रहा था , वह भी उसे प्राप्त नहीं हुआ |
(ख) ‘अनुरागिनी उषा' का क्या अर्थ है?
उत्तर ‘अनुरागिनी उषा'
भोर का आकाश लालिमा अर्थात् प्रेम से पूर्ण है। उसकी गुलाबी लालों की मस्ती भरी छाया में प्रेम भरी भोर अपने सुहाग की मिठास भरी मनोहरता को लेकर प्रकट हो गई थी| उसकी गालों में सुबह लाली और शोभा विद्यमान थी |
(ग) “थके पथिक' किसे कहा गया है?
उत्तर : (ii) कवि को
(घ) पथिक का पाथेय क्या है?
उत्तर: (iv) बीते हुए जीवन को स्मृतियाँ
बीते हुए जीवन को स्मृतियाँ जो कवि को जल बरसाने वाली शक्ति के रूप में ,उत्साह और संघर्ष के भाव भरने वाले कवि के रूप में पीड़ाओं का ताप हरने वाली सुखकारी शक्ति के रूप में सहारा देती थी|
(ङ) इस पद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर: iv) कवि को आत्मकथा