Hindi, asked by ananddongre873, 5 months ago

'मै लेखक कैसे बना' के आधार पर लेखक बनने के लिए कौन -सी बाते आवश्यक है​

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Answered by shishir303
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‘मैं लेखक कैसे बना‘ निबंध अमृतलाल नागर द्वारा लिखा गया निबंध है। निबंध के आधार पर लेखक बनने के लिए निम्न बातों की आवश्यकता होती है...

  • अच्छा लेखक बनने के लिए प्रसिद्ध लेखकों की रचनाएं निरंतर पढ़ते रहनी चाहिए ताकि उनकी लेखन शैली से तुलना करने पर नये लेखक को अपनी लेखन शैली की कमियां पता चल सके।
  • एक अच्छे लेखक के लिए निरंतर एक भाषा से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए। यदि उसे कम से कम दो-तीन अन्य भाषाओं की जानकारी होगी तो वह दूसरी भाषाओं के साहित्य के संपर्क में भी आ सकेगा, जिससे उसके ज्ञान का दायरा समृद्ध होगा।
  • एक लेखक को अलग-अलग वातावरण में घूमना-भटकना चाहिए ताकि वह विभिन्न परिस्थितियों से अवगत हो सके वह काल्पनिक दुनिया से बाहर आकर यथार्थ के धरातल पर परिस्थितियों की वास्तविकता समझ सके, जिससे वह अपनी रचनाओं में यथार्थता ला सकता है।
  • एक लेखक को निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए, जिस तरह मैदान में लड़ने वाला सिपाही स्वयं को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए कठिन अभ्यास करता है, उसी तरह लेखक को भी हमेशा कठिन अभ्यास करते रहना चाहिए, जिससे उसके विचारों का मार्जन होता रहे।
  • लेखक को अपने शब्द ज्ञान भंडार को भी बढ़ाना चाहिए ताकि वो अपनी रचनाओं में शब्दों के दृष्टि से समृद्ध ला सके।
  • एक लेखक को अपनी रचना किसी पत्र-पत्रिका आदि में न छपने पर भी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि निरंतर लेखन कार्य करते रहना चाहिए। यदि उसका लेखन निखरता जाएगा तो कोई ना कोई उसके लेखन की कद्र अवश्य करेगा।

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Answered by shailajavyas
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Answer:

                लेखक अमृतलाल नागर के अनुभव के आधार पर उन्होंने अपने निबंध "मै लेखक कैसे बना "में दर्शाया है कि लेखक बनने के लिए कौनसे गुणों का व्यक्ति में होना आवश्यक है |तदनुसार निम्नलिखित गुण व्यक्ति में आवश्यक है |-

१) महापुरुषों का दर्शन एवं उनका सानिध्य

२) लेखक के अनुसार संवेदना की गहन अनुभूति से उनमें अपने गंतव्य को प्राप्त करने हेतु उत्तेजना वश पंक्तियाँ स्त्रवित हुई | वस्तुत: बगैर पीड़ा के सृजन संभव भी नहीं अस्तु लेखन के लिए एक संवेदनशील ह्रदय होना आवश्यक है |

३) महान लेखको के उपदेश और उनकी सीख मानना तथा उसे जीवन में उतारना आवश्यक है |

४ ) साहित्य को टके कमाने अर्थात धनोपार्जन का साधन नहीं समझना चाहिए |

५) लेखक के अनुसार उन्हें शरत्चंद्र चटोपाध्याय से पाँच बाते सीखने को मिली वे यह थी कि जो लिखो अपने अनुभव के आधार पर लिखो ,किसी को अपनी कहानी दिखाने,सुनाने या सलाह लेने की आदत न डालो | अपनी कहानी या कथा साहित्य को लिखकर दराज में रख दे और शांत चित्त से उसमें सुधार करते रहे तबतक जबतक आत्मसंतोष न हो | पूर्ण संतुष्टि के पश्चात् ही उसे प्रकाशित करे |

६ ) बचत करे और न कर पाए तो कभी उधार न मांगे |

७) सतत और सदैव अभ्यास की प्रवृत्ति रखे |

८) शब्द -भण्डार में अभ्यास द्वारा वृद्धि करके वाक्यों का गठन विकसित करने की लालसा लेखक में होनी ही चाहिए |

९ ) अंत में वे कहते है घूमना ,भटकना ,विभिन्न वातावरण के विविध अनुभव लेना, बहुश्रुत और बहुपठित रहने से लेखक को अनेक प्रकार से मदद मिलती है |

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