मेले में एक घंटा निबंध । ि
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भारत मेलों का देश है यहां पर हर रोज कहीं ना कहीं मेला लगा ही रहता है. मुझे मेले में जाना बहुत अधिक पसंद है ।
हमारे शहर में प्रतिवर्ष होली के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
मेला गाँधी मैदान में लगता है जिसे देखने शहर के नागरिकों के अलावा निकटवर्ती गाँवों और कस्बों के लोग बड़ी संख्या में मेला देखने आते हैं । मैं भी अपने दोस्तों के साथ संध्या चार बजे मेला देखने गया । वहाँ बहुत भीड़ थी । अंदर तरह-तरह की दुकानें थीं । मिठाई, चाट, छोले, भेलपुरी तथा खाने-पीने की तरह-तरह की दुकानों में भी अच्छी-खासी भीड़ थी । तरह-तरह के आकर्षक खिलौने बेचने वाले भी थे । गुब्बारे वाला बड़े-बड़े रंग-बिरंगे गुब्बारे फुलाकर बच्चों को आकर्षित कर रहा था । कुछ दुकानदार घर-गृहस्थी का सामान बेच रहे थे । मुरली वाला, सीटीवाला, आईसक्रीम वाला और चने वाला अपने – अपने ढंग से ग्राहकों को लुभा रहा था ।
मेले में काफी स्टॉल लगे हुआ थे । हम सब को देख के आगे बड रहे थे । वहाँ पे कई प्रकार के झूले लगे थे । हमने वहाँ झूलों का आनंद लिया । बाहर कोने मैं जादूगर के कर्मचारी शेर, बिल्ली, जोकर आदि का मुखड़ा पहने ग्राहकों को लुभा रहे थे । हमने जादू भी देखा, जादूगर ने अपने थैले में कबूतर भरा और भीतर से खरगोश निकाला । मेले में खाने-पिने की कई दुकानें थी, हमने चाट और गोलगप्पे समोसे, कचोरी, और मीठे मैं जलेबी खाई । हमने मेले का एक और चक्कर लगाकर मेला परिसर से बाहर निकल आए ।
हमारे गांव में हर साल जन्माष्टमी का मेला लगता है I हमारे यहां खाली मैदान में मेला लगता है I मेला देखने के लिए हमारे गांव में लोग दूर दूर से आते हैं I यहां बड़ी संख्या में भीड़ होती है I मैं भी अपने माता-पिता और पूरे परिवार के साथ मेला देखने जाती हूँ I वहां श्री कृष्ण की बहुत सुंदर सुंदर झांकियां होती है, खाने पीने के लिए दुकानें लगी होती है और खिलौने की दुकानें और झूलने के लिए झूले भी लगे होते हैं I मेले में जादूगर का खेल और मौत का कुआं इस बार का आकर्षण था I