मूल(मुख्य) क्रिया लिखें- तोल, मोल, खोल
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I don't understand syd -8th
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प्रत्येक बोले जाने वाले बोल का मोल होता है अत: उसका व्यय तोल-तोलकर ही करना उचित है। बोल सस्ते भी होते हैं और महंगे भी। पर नि:शुल्क तो कदापि नहीं- सस्ते से सस्ते बोल का मोल होता है। आजकल, मीडिया एवं सोशल मीडिया पर और राजनीतिक रैलियों में सस्ते बोल अधिक बिक रहे हैं, क्योंकि महंगे बोल संभाल सकने वाले 'अटल पुरुष' स्मृतिलोप से पीड़ित हैं और एक कमरे में कैद अपनी मृत्यु को एकटक ताक रहे हैं। और तो और, उनके अनुयायियों में भी यही भ्रांति फैली है कि महंगे बोल का उपयोग करने से राजनीतिक आयु क्षीण होती है।
अत: छुटभैये नेताओं से लेकर स्टार प्रचारक तक सस्ते से सस्ते बोलों का प्रयोग कर रहे हैं। प्रत्येक बोल के साथ एक वैधानिक चेतावनी अवश्य होती है जिसे हर राजनेता संविधान की प्रस्तावना की तरह अनदेखा कर देता है- 'बोल, बाजार के जोखिमों के अधीन हैं, कृपया बोलने से पहले तोल लें एवं टटोल लें।' विगत सप्ताह गुजरात में संपन्न विधानसभाचुनाव में सत्तासीन पक्ष की अप्रभावी, निराशाजनक, दुर्भाग्यशाली विजय हुई और अनादि काल से विपक्ष में स्थापित पार्टी की शानदार, धमाकेदार हार दर्ज हुई। हालांकि चुनाव तो हिमाचल में भी हुए थे, पर उस विषय में न कोई चर्चा हुई और न ही यह इस लेख का विषय है।