मालिम नगा विररायमिय
रायमिय मानव
मी
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पश्चिमी मध्य प्रदेश के 8 जिलों- धार, इंदौर, देवास, शाजापुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर और नीमच को प्रायः मालवा कहा जाता है। आजादी के समय क्षेत्र की प्रमुख नदी, चम्बल या उसकी प्रमुख सहायक नदियों गम्भीर, क्षिप्रा, छोटी कालसिंध, शिवना आदि में ही नहीं, छोटे नालों में भी वर्ष भर पानी बहता था। क्षेत्र में राजाओं द्वारा जंगली जानवरों के शिकार हेतु वनों की रक्षा की जाती थी। क्षेत्र की प्रमुख रियासत होल्कर एस्टेट के 1930 के गजेटियर में लिखा है कि होल्कर एस्टेट में 30 प्रतिशत क्षेत्र में वन थे। पश्चिमी मानसून से औसतन 36 इंच वर्षा होती थी। क्षेत्र की काली मिट्टी कपास की खेती के लिये उपयुक्त थी और कपास के अच्छे उत्पादन के फलस्वरूप यहाँ 6-7 कपड़ा मिल थीं। वर्षा के जल को सिंचाई और पेयजल हेतु संग्रहित करने के लिये कितने तालाब थे, इस बारे में कोई आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन 1954-60 के मध्य चम्बल घाटी विकास परियोजना के अन्तर्गत बने प्रथम गाँधीसागर बाँध के जलाशय में 95 तालाब डूब में आए थे। जलाशय का क्षेत्र 560 वर्ग किमी था। 5.89 वर्ग किमी में एक तालाब था। इस हिसाब से गाँधीसागर के जलग्रहण क्षेत्र में 3800 के आस-पास तालाब रहे होंगे।