माला पहिरे टोपी पहिरे छाप तिलक अनुमाना साखी शब्द गावत भूले आतम खबर न जाना इस इस दोहे का क्वेश्चन है कवि ने पाखंडी किसे कहा है और क्यों स्पष्ट करें
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Answer:
?
Explanation:
??sorry i dont understand
उत्तर:निर्गुण परंपरा के सर्वश्रेष्ठ कवि कबीर के पदों से उद्धृत है। इस पद में उन्होंने धर्म के नाम पर हो रहे बाहय आडंबरों पर तीखा प्रहार किया है।कवि संसार को पागल कहता है। इसका कारण है कि संसार सच्ची बात कहने वाले को मारने के लिए दौड़ता है तथा झूठी बात कहने वाले पर विश्वास कर लेता है।
व्याख्या:
इन पक्तियों का आशय यह है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग बाह्य आडंबर में उलझे रहते हैं। कोई टोपी पहनता है, तो कोई तिलक लगाता है और अपने-अपने अंहकार का प्रदर्शन करते हैं। वे साखी-सबद आदि गाकर अपने आत्म स्वरुप को ही भूल जाते है। वे साखी व शब्द को गाना भूल गए हैं तथा अपनी आत्मा के रहस्य को नहीं जानते हैं। इन लोगों को सांसारिक जीवन पर घमंड है। हिंदू कहते हैं कि उन्हें राम प्यारा है तो तुर्क रहीम को अपना बताते हैं। दोनों समूह ईश्वर की श्रेष्ठता के चक्कर में लड़कर मार जाते हैं, परंतु किसी ने भी ईश्वर की सत्ता के रहस्य को नहीं जाना।
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