मेला पर निबंध लिखिए
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मेले भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करते है मेलों के कारण लोग एक दूसरे से उत्साह से मिलते हैं और कुछ समय आनंद के साथ व्यतीत करते है. भारत में बड़े कुंभ के मेले से लेकर छोटे मेले हर साल लगते है कुछ मेले महीनों तक चलते हैं और कुछ एक-दो दिन और कुछ एक ही दिन तक चलते है.
भारतीय लोगों में मेलों को लेकर बहुत उत्साह रहता है वह मेले से 2 दिन पूर्व की इसकी तैयारियां करने लग जाते है. मेलों को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह है बच्चों में होता है क्योंकि उनको वहां उनको मनपसंद खिलौने एवं आइसक्रीम झूले झूले को मिलते है.
मेलों में दुकानदार दूर-दूर से अपना सामान बेचने आते है. आज मैं आपको मेरे द्वारा मेले में किए गए भ्रमण का वर्णन करता हूं. हमारा गांव हरिद्वार से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है हमारे गांव में हर साल दुर्गा पूजा के अंतिम दिन एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला एक बहुत बड़े मैदान में आयोजित किया जाता है जहां पर हम रोज क्रिकेट भी खेलते है.
इस मेले का आयोजन इतना भव्य होता है कि आस-पास के गांव वाले भी इस मेले को देखने आते है. इस दिन हमारे गांव में बहुत चहल पहल रहती है. हम मेले वाले दिन सुबह उठकर अपना दैनिक कार्य करके मेले में जाने के लिए तैयार होते है. मैं, मेरा पूरा परिवार और मेरे दोस्त एक साथ मेला देखने के लिए जाते है.
हम जैसे ही मेले में प्रवेश करते हैं वहां पर बहुत भीड़ भाड़ रहती है लोग एक दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए चलते हैं क्योंकि वहां पर इतनी भीड़ होती है कि चलने की जगह ही नहीं होती है. इतनी भीड़ भाड़ होने के बावजूद भी लोग बड़े उत्साह से मेले का भरपूर आनंद लेते है. हम मेले में जाकर सबसे पहले मां दुर्गा के दर्शन करते है इसके बाद वहां हो रही सांस्कृतिक कार्यक्रम देखते है.
कुछ समय बाद हम मेला देखने निकल जाते हैं मैं और मेरे मित्र हर दुकान पर जाकर मोल भाव करते हैं और कुछ जरूरी सामान खरीदते है साथ ही अपने छोटे भाई बहनों के लिए खिलौने भी खरीदते है. इसके बाद हम छोटे बड़े झूलों में झूला झूलते है. मेले में कुछ दुकानदार चिल्ला-चिल्लाकर आइसक्रीम और खाने की वस्तु में भेजते रहते हैं हम उनसे कुछ आइसक्रीम और चाट खरीदकर बड़े चाव से खाते है.
मेले में बहुत शोर शराबा होता है क्योंकि सभी लोग चिल्ला-चिल्लाकर कुछ ना कुछ बेच रहे होते हैं और साथ ही वहां पर कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं तो वहां से DJ की आवाज आती रहती है. वहां पर जादूगर अपना खेल दिखाता है कभी कबूतर को खरगोश बनाता है तो कभी किसी को गायब कर देता है यह देखने में बहुत ही मजा आता है.
इसके बाद हम मेले में धीरे धीरे चलते हुए पूरा मेला देखते है. मेले में बहुत सी प्रदर्शनियां लगी हुई होती है जो कि अलग-अलग विषयों पर होती हैं जैसे की कोई प्रदर्शनी जल बचाने का संदेश देती है तो कोई प्रदूषण कम करने का यहां पर बड़े ही रोचक ढंग से प्रदर्शनियां प्रदर्शित की जाती है दोपहर होते-होते हम थक जाते हैं इसलिए घर की ओर निकल पड़ते है............
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भारत मेलों का देश है यहां पर हर रोज कहीं ना कहीं मेला लगा ही रहता है. मुझे मेले में जाना बहुत अधिक पसंद है हमारे गांव में हर साल दशहरा के दिन मेला भरता है. मेला दशहरा के दिन सुबह लगता है और रात 10:00 बजे तक मेले में चहल पहल रहती है.
दशहरा के दिन हमारे विद्यालय की छुट्टी होने के कारण हम पूरे दिन मेले में ही रहते है. मेले वाले दिन हम सुबह-सुबह नए कपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं फिर मैं अपने दोस्तों के पास जाता हूं फिर हम सब मिलकर मेले में जाते है. मेले में जाने के बाद हम खूब मस्ती करते हैं झूला झूलते हैं समोसे, कचोरी, गोलगप्पे खाते है.
मेले में कई प्रकार के कार्यक्रम होते है. उन सभी कार्यक्रमों को हम बड़े चाव से देखते है. मेले में कई जादूगर आते हैं जो कि जादू दिखाते है. पूरा मेला देखने के बाद हम शाम को घर लौट आते है.
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