Geography, asked by manjeet004395, 2 months ago

मूल रूप से मुद्रा कितने प्रकार की होती है :-
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Answered by shailaphatak56
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Explanation:

मुद्रा (currency, करन्सी) पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं। आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है। मसलन भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है।

विभिन्न देशों की मुद्राएँ

मुद्रा के बारे में हम उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के आधार पर बात कर सकते हैं। सामान्यतः हम मुद्रा के कार्यो में विनिमय का माध्यम, मूल्य का मापक तथा धन के संचय तथा स्थगित भुगतानों के मान आदि को शामिल करते है। विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने मुद्रा की परिभाषा उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के आधार पर दी है। मुद्रा में सामान्य स्वीकृति के गुण का होना बहुत जरूरी है यदि किसी वस्तु में सामान्य स्वीकार होने की विशेषता नहीं है तो उस ‘वस्तु’ को मुद्रा नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार, मुद्रा से अभिप्राय कोई भी वह वस्तु है जो सामान्य रुप से विनियम के माध्यम, मूल्य के माप, धन के संचय तथा ऋणों के भुगतान के रुप में स्वीकार की जा सकती है

Answered by pratimadevigee
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Answer:

जिस तरह से ये कहावत सही है कि "रहिमन पानी रखिये, बिन पानी सब सून" उसी तरह यह कहावत भी ठीक लगती है कि "रहिमन पैसा रखिये, बिन पैसा सब सून". वर्तमान समय में वास्तविकता यह है कि बिना मुद्रा के किसी भी अर्थव्यवस्था की कल्पना भी नही की जा सकती है. या फिर यूं कहें कि बिना अर्थ के कोई तंत्र नहीं होता है.

अर्थशास्त्री क्राऊदर के अनुसार, मुद्रा आधुनिक समय में मनुष्य द्वारा किये गए तीन महत्वपूर्ण अविष्कारों : मुद्रा, पहिया और वोट में से एक है.

अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर मुद्रा किसे कहते हैं| सामान्य अर्थों में मुद्रा सिर्फ उस वस्तु को कहते हैं जिसको केंद्र सरकार ने सिक्कों या नोटों के रूप में छापा है परन्तु मुद्रा की सर्व व्यापक परिभाषा यह है कि “मुद्रा वह है जो कि मुद्रा का कार्य करे” | नोटबंदी के समय बंद किये गए नोट भी ‘मुद्रा’ थे क्योंकि उनको सरकार की तरफ से केन्द्रीय बैंक ने जारी किया था लेकिन फिर भी ये नोट मुद्रा का कार्य नही कर रहे थे अर्थात उपर्युक्त बात सही है कि हम सिर्फ ‘उसी वस्तु’ को मुद्रा कह सकते हैं जो कि मुद्रा का कार्य करे |मुद्रा के अंतर्गत मुख्य रूप से सिक्के, पत्र मुद्रा तथा जमा मुद्रा या बैंक मुद्रा को शामिल किया जाता है |

1. नजदीकी मुद्रा (Near Money): उस संपत्ति को जो ऐसे रूप में हो जिसे जल्दी तथा आसानी से मुद्रा में परिवर्तित किया जा सके उन्हें समीपस्थ या नजदीक मुद्रा कहते हैं |

उदाहरण: घर जमीन, सोना, चांदी आदि

image source:Twitter

2. पत्र मुद्रा (Currency Notes): सामान्य रूप से तो पत्र मुद्रा का अपना कोई मूल्य नही है जबकि  सिक्के का अपना मूल्य (metal value) होता है जैसे यदि एक सिक्के को पिघला दिया जाये तो उससे मिलने वाली धातु (metal) का अपना कुछ बाजार मूल्य होगा | पत्र मुद्रा का जो भी मूल्य होता है वह उस पर, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की शपथ (लिखे गए कथन) “मैं धारक को (जितने रुपये का नोट होता है) रुपये अदा करने का वचन देता हूँ” के कारण होता है | यदि गवर्नर की यह शपथ किसी नोट पर न लिखी हो तो वह नोट सिर्फ कागज का एक टुकड़ा होता है | पत्र मुद्रा को निर्गत करने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक को है जबकि इस पर लिखी गयी राशि के भुगतान का अंतिम दायित्व भारत सरकार का होता है |

उदाहरण: सभी मूल्यवर्ग (रु.2, रु.5, रु.10,रु.100,रु.500, रु.1000, रु.2000) के नोट |

जमा मुद्रा या बैंक मुद्रा (Deposit Money): बैंकों द्वारा खोले गए मांग जमा (demand deposit) मुद्रा के रूप में प्रयुक्त होते हैं, क्योंकि इन जमाओं को चेकों के द्वारा हस्तांतरित किया जा सकता है,पर प्रत्यक्ष नही|

4. प्रतिनिधि मुद्रा (Representative Money): प्रतिनिधि मुद्रा उस मुद्रा को कहते हैं जो कि वास्तविक मुद्रा की तरह ही कार्य करे, जैसे प्रतिनिधि मुद्रा की सहायता से सोना या चांदी या कोई और जरुरत की चीज खरीदना| प्रतिनिधि मुद्रा में सिक्के, या प्रमाण पत्र को गिना जाता है|

5. विश्वास आधारित मुद्रा (Fiduciary Money): ऐसी मुद्रा जो इसे जारी करने वाले अधिकारी या संस्था के द्वारा दिए गए विश्वास पर चलती है Fiduciary Money कहलाती है| सभी प्रकार की मुद्राएँ(नोट्स और सिक्के) Fiduciary Money कहलातीं हैं |

उदाहरण: करेंसी नोट्स, सिक्के और बैंक जमा |

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6. वैध मुद्रा (Fiat Money or Legal Tender ): मुद्रा को एक और प्रकार से बांटा जा सकता है इसमें एक प्रकार हैं वैध मुद्रा और दूसरा है गैर वैधानिक मुद्रा |

वैध मुद्रा, वह मुद्रा होती है जो कि सरकार के आदेश पर चलती है जैसे सिक्के और नोट्स| इस प्रकार की मुद्रा को लेना सभी के लिए कानूनन जरूरी होता है, कोई इसे लेने से मना नही कर सकता, यदि वो ऐसा करता है तो सीधे रूप से सरकारी आदेश की अवहेलना मानी जाती है और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है |

image source:Dreamstime.com

नोट: भारत में छोटे सिक्के जैसे एक रुपये के नोट या सिक्के एक सीमा तक ही भुगतान के रूप में इस्तेमाल किये जा सकते हैं अर्थात ऐसा नही हो सकता कि कोई व्यक्ति 1 करोड़ रुपये का भुगतान एक रुपये के सिक्कों में करे, इतनी बड़ी मात्रा में कोई व्यक्ति सिक्कों को लेने से मना भी कर सकता है और उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नही होगी |

हस्त (Hand Mudras)

मन (Head Mudras)

काया (Postural Mudras)

बंध (Lock Mudras)

आधार (Perineal Mudras

भरतनाट्यम में 28 (या 32), कथकली में 24 और ओडिसी में 20 मूल मुद्राएं होती हैं। एक हाथ, दो हाथ, बांह की गतिविधियों, शरीर तथा चेहरे की अभिव्यक्तियों की तरह ये मूल मुद्राएं विभिन्न तरीकों से संयुक्त होती हैं। कथकली में, जिसमें सबसे अधिक संख्या में संयोजन हुआ करते हैं, शब्दावली लगभग 900 शब्दों की है।

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