(माला शालिनी च चिकित्सिकां प्रति गच्छन्तयौ वार्ता कुरुतः )
शालिनी-किमभवत्? भ्रातृजाये? का समस्याऽस्ति?
माला-शालिनि! अहम् मासत्रयस्य गर्दै स्वकुक्षौ धारयामि। तव भ्रातुः आग्रहः अस्ति यत् अहं लिङ्गपरीक्षणं कारयेयम् कुक्षौ कन्याऽस्ति चेत् गर्भ पातयेयम्। अहम् अतीव उद्विग्नाऽस्मि परं तव भ्राता वार्तामेव न शृणोति।
शालिनी-भ्राता एवम् चिन्तायितुमपि कथं प्रभवति? शिशुः कन्याऽस्ति चेत् वधार्हा? जघन्यं कृत्यमिदम्। त्वम् विरोधं न कृतवती? सः तव शरीरे स्थितस्य शिशोः वधार्थं चिन्तयति त्वम् तूष्णीम् तिष्ठसि? अधुनैव गृहं चल, नास्ति आवश्यकता लिंगपरीक्षणस्य। भ्राता यदा गृहम् आगमिष्यति अहम् वार्ता करिष्ये।।
शब्दार्थ : गच्छन्त्यौ-जाती हुईं। भ्रातृजाये!-हे भाभी! मासत्रयस्य-तीन महीने का। स्वकुक्षौ-अपने पेट में। भ्रातुः-भाई का। आग्रहः-ज़िद। कारयेयम्-कराऊँ। चेत्-यदि। पातयेयम्-गिरा दें। उद्विग्ना-परेशान। प्रभवति-समर्थ हैं। जघन्यम्-भयानक। कृतवती-किया। वधार्थम्-वध के लिए।
सरलार्थ : (माला और शालिनी चिकित्सिका (डॉक्टर) के पास जाती हुई बातचीत करती हैं।) शालिनी-क्या हुआ? भाभी? क्या समस्या है?
माला-शालिनी! तीन मास के गर्भ को अपने पेट में धारण किए हूँ। तुम्हारे भाई की जिद है कि मैं लिंग परीक्षण कराऊँ यदि गर्भ (पेट) में कन्या है तो गर्भ को गिरा हूँ। मैं बहुत परेशान (चिन्तित) हूँ, परन्तु तुम्हारे भाई मेरी बात ही नहीं सुनते हैं।
शालिनी-भाई ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? यदि शिशु कन्या है तो वध के (मारने) लायक है? यह तो जघन्य (महापाप) अपराध है। तुमने विरोध नहीं किया? वह तुम्हारे शरीर (पेट) में स्थित शिशु के वध के लिए सोचते हैं, तुम चुप रहती हो? अभी ही घर चलो, लिंग परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। भाई जब घर आएँगे तो मैं बात करूंगी।
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I don't know.............
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Wth is this itna bada paragraph h ya chapter bhai ^^
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