Hindi, asked by rahulbhogayata95, 8 months ago

माला तो कर में फिरै, गीबिया फिरै मुख माँही। मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यहौ सुमिरन नहिं​

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Answered by shivakantshukla1976
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Answer:

सन्त कबीर दास जी कहते है की हाथ मे माला फेरना और मुख मे जीभ से कुच भजन करना ईश्वर का सच्चा समीरन नही होता यदि मैन ही एकाग्र ना हो तो।

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