.माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि।मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं। इस साखी के अनुसार कबीर दास जी भगवान का स्मरण किसको नहीं मानते हैं? *
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मई माला माला माला माला माला तू मला है न बल को भाई क्या करना भाई क्या करना क्या भाई भाई भाई भाई भाई भाई भाई भाई भाई
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