Hindi, asked by dheeralgadiya, 4 days ago

माला तो कर में फिरे, जीभी फिरे मुख्य माहीं ।

मनवा तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहीं ॥

इस के लिए एक कहानी लिकिए - अर्थ - दोहे में संत कबीर दास जी कहते है कि हाथ में माला फेरना और मुख्य में जीभ से कुछ भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता है यदि मन में ही लगन न हो। दिखावा करने से कुछ नहीं होता , जब तक हम ईश्वर की भक्ति सच्चे दिल से न करें और अपना मन एक तरफ़ रखना चाहिए | दिखावा और ढोंग करने से कुछ नहीं होता | ans it pls

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Answered by manika6767
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MARK ME AS ....BRAINLIST

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Answered by krishna210398
8

Answer:

माला तो कर में फिरे, जीभी फिरे मुख्य माहीं ।

मनवा तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहीं ॥

Explanation:

माला तो कर में फिरे, जीभी फिरे मुख्य माहीं ।

मनवा तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहीं ॥

दोहे में संत कबीर दास जी कहते है कि हाथ में माला फेरना और मुख्य में जीभ से कुछ भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता है यदि मन में ही लगन न हो। दिखावा करने से कुछ नहीं होता, जब तक हम ईश्वर की भक्ति सच्चे दिल से न करें और अपना मन एक तरफ़ रखना चाहिए। दिखावा और ढोंग करने से कुछ नहीं होता ।

इस के लिए एक कहानी लिकिए - अर्थ - दोहे में संत कबीर दास जी कहते है कि हाथ में माला फेरना और मुख्य में जीभ से कुछ भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता है यदि मन में ही लगन न हो। दिखावा करने से कुछ नहीं होता , जब तक हम ईश्वर की भक्ति सच्चे दिल से न करें और अपना मन एक तरफ़ रखना चाहिए | दिखावा और ढोंग करने से कुछ नहीं होता |

माला तो कर में फिरै, जीभ फिरै मुख माँहि।।

मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो/सुमिरन नाहिं।।3

https://brainly.in/question/11073334

माला तो कर में फिरे, जीभी फिरे मुख्य माहीं ।

मनवा तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहीं ॥

https://brainly.in/question/49321733

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