मूल्यांकन कार्य :- * कविता का मूलभाव संक्षिप्त में लिखिए| ( 30 से 40 शब्दों में )
कविता - वर्षा बहार
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मंजिलों से परे उन फासलों में मिल जाऊंगा,
मत ढूंढ़ इस तरह मुझे इस मतलबी दुनिया मे,
विरक्त हूं तेरी तनहाइयों में मिल जाऊंगा,
ढूंढती रहे चाहे कोई खुदगर्ज उजाले में सदियों,
एक बार तू उज्ज्वला बन खुद में ढूंढ़ लेना फिर से,
सिमटा हूं वहीं कहीं तेरी परछाइयों में मिल जाऊंगा,
मैं नहीं मुरीद खूबसूरत चेहरों का ,
रूहों की सच्चाई से आसक्ति है मेरी,
मिलूंगा नही शायद बनावटी इस दुनिया मे लेकिन,
ह्रदयों की गहराईयों में अक्सर मिल जाऊंगा,
(m.n.u)
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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