माँ मेरी बे-वजह ही रोती है
फोन पर जब भी बात होती है
फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ।
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माँ मेरी बे-वजह ही रोती है
फोन पर जब भी बात होती है
फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ।
यह पंक्तियाँ त्रिवेणी कविता से ली गई है | कविता ने पंक्तियों में माँ और बेटे के बीच के असीम प्रेम का वर्णन किया है | घर से दूर आकर , जब भी मैं एपीआई माँ से बात करता हूँ , तब मेरी माँ का हृदय प्यार से भर आता है , और वह बिना कारण के रोने लगती है | उस समय मैं नहीं रोता हूँ , लेकिन फोन रखने के बाद मैं बहुत रोता हूँ | मेरा दिल भी माँ के दुःख से दुखी होकर रोने लगता है |
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